इंदौर के रेडीमेड गारमेंट व्यापारियों ने चीन और बांग्लादेश में निर्मित वस्त्रों और एक्सेसरीज के बहिष्कार का निर्णय लिया

इंदौर
 अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन के तहत 22 अगस्त 1921 को विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आंदोलन चलाया था। उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई थी। अब एक बार फिर विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार की एक मुहिम इंदौर में शुरू हुई है। इस बार निशाने पर चीन और बांग्लादेश हैं।

इंदौर रेडीमेड गारमेंट व्यापारी एसोसिएशन ने चीन और बांग्लादेश के कपड़ों के बहिष्कार का निर्णय लिया है। नियम बनाकर एसोसिएशन के व्यापारी सदस्यों पर लागू भी कर दिया है। एसोसिएशन के सदस्य व्यापारी यदि चीन या बांग्लादेश निर्मित वस्त्र व एसेसरीज बेचते पाए गए तो उन पर भारी जुर्माना भी लगा दिया जाएगा।

दोनों देशों के कपड़ों के बहिष्कार का निर्णय

 इंदौर रिटेल रेडीमेड गारमेंट व्यापारी एसोसिएशन की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बीते दिनों पाकिस्तान से हुए संघर्ष में चीन का दुश्मन देश की मदद करना और बांग्लादेश में बढ़ी भारत विरोधी भावना व्यापारियों के इस निर्णय का कारण बनी है। दोनों देशों के वस्त्रों के बहिष्कार के निर्णय को तुरंत लागू कर दिया गया है।

एसोसिएशन के सदस्य व्यापारियों को सूचना दी गई है कि जो इन देशों में निर्मित, आयातित वस्त्र या एसेसरीज बेचता पाया जाएगा, उस पर एक लाख 11 हजार रुपये का जुर्माना एसोसिएशन लगाएगा। इस निर्णय का असर सबसे पहले राजवाड़ा और मध्य क्षेत्र के पुराने परंपरागत बाजार में नजर आएगा।

अन्य एसोसिएशनों को लिखेंगे पत्र

इंदौर रिटेल रेडीमेड गारमेंट शहर के अन्य बाजारों के वस्त्र व्यापारी व संगठनों को भी बुधवार से पत्र लिखना शुरू करेगा। एसोसिएशन के अनुसार मध्य क्षेत्र में प्रतिबंध लागू होने के बाद अन्य व्यापारियों से अपील की जाएगी कि वे भी दोनों देशों में निर्मित कपड़ों को न बेचें। व्यापारी एसोसिएशन के अनुसार इससे दुश्मन देशों का व्यापार तो प्रभावित होगा ही, दूसरा लाभ यह कि भारतीय वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।

50 अन्य एसोसिएशनों को लिखेंगे पत्र

चीन और बांग्लादेश में निर्मित गारमेंट का शहर के रिटेल काउंटरों खासतौर पर मध्य क्षेत्र के काउंटरों से ही सालाना करीब 50 करोड़ का कारोबार होता है। यह कहना है इंदौर रिटेल रेडीमेड गारमेंट व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष अक्षय जैन का।

इसमें 70 प्रतिशत हिस्सेदारी महिला वस्त्रों, 30 प्रतिशत पुरुष वस्त्रों की और शेष किड्स गारमेंट व अन्य सामग्री होती है। जैन कहते हैं बड़े व्यापारी कारोबार बंद करेंगे तो सीधे आयातकों पर असर होगा और इन देशों से आने वाले वस्त्रों पर लगाम लगेगी। वस्त्रों से जुड़ी एसेसरीज क्लिप, बेल्ट, टैग आदि भी इन देशों में बनी हुई न हो, इसका परहेज भी किया जाएगा। इसका अभियान शुरू किया है।

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